रांची एग्रीकल्‍चर कॉलेज में हंगामा, साथी छात्र की मौत से गुस्साए छात्रों ने कुलपति आवास में की तोड़फोड़

एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग काॅलेज बीएयू के सातवें सेमेस्टर के छात्र रूपेश कुमार ओझा (23 वर्ष) की शनिवार देर रात तबीयत बिगड़ने के बाद मौत हो गई। इसे लेकर साथी छात्रों ने खूब हंगामा किया। छात्र की मौत से गुस्साए छात्रों ने कुलपति आवास में तोड़फोड़ की। पुलिस अधिकारियों ने छात्रों की बात कुलपति से सोमवार को कराने का भरोसा दिया तब छात्र शांत हुए। रविवार को रूपेश का पोस्टमार्टम किया गया।

जासं, रांची-कांके। एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग काॅलेज बीएयू के सातवें सेमेस्टर के छात्र रूपेश कुमार ओझा (23 वर्ष) की शनिवार की देर रात तबीयत बिगड़ने के बाद मौत हो गई। रूपेश को शाम लगभग साढ़े सात बजे सांस लेने में दिक्कत व बेचैनी महसूस हुई। साथी छात्रों ने इसकी सूचना तुरंत वार्डन नीरज कुमार को दी। साथ ही अपने स्तर पर मुंह में सांस भर कर उसको बचाने का अपने स्तर से काफी प्रयास किया।

चिकित्‍सकों ने किया मृत घोषित

बीएयू की एंबुलेंस रिपेयर के लिए गई थी। उसकी जगह एक बोलेरो बीएयू प्रशासन ने तुरंत भेज दिया। साथी छात्र रूपेश को लेकर रिम्स गए, जहां चिकित्सकों ने लगभग पौने नौ बजे उसको मृत घोषित कर दिया। वह रातू थाना के कमड़े निवासी ध्रुव कुमार ओझा का इकलौता पुत्र था।

आक्रोशित छात्रों ने किया हंगामा

इधर, उसकी मौत की सूचना से हाॅस्टल में रहने वाले छात्र भड़क गए। वे डीन डा. डीके शाही व डीन डा. एमएस मलिक से नाराज थे। रात्रि लगभग साढ़े 12 से डेढ़ बजे के बीच लगभग 100 से अधिक छात्र कुलपति डा. सुनील चंद्र दुबे के आवास पहुंच गए। आक्रोशित छात्र उनके आवासीय परिसर में घुसकर सरकारी गाड़ी, खिड़की और गमलों को तोड़ दिए।

कुलपति को वहां नहीं पाकर छात्र दामोदर इंटरनेशनल गेस्ट हाउस पहुंच गए। लेकिन तोड़फोड़ की सूचना पाकर इंस्पेक्टर राम कुमार वर्मा मौके पर पहुंच गए। इसी बीच डीएसपी मुख्यालय वन अमर कुमार पांडेय सहित दो अन्य डीएसपी तथा बड़ी संख्या में पुलिस बल भी पहुंच गए। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने छात्रों की बात कुलपति से सोमवार को कराने का भरोसा दिया, तब छात्र शांत हुए। रविवार को रूपेश का पोस्टमार्टम कर दिया गया।

समय पर संसाधन मिलते तो बच सकती थी जान

हास्टल नंबर चार में रह रहे छात्रों ने कहा कि यदि कालेज के हास्पिटल में चिकित्सक, प्रशिक्षित मैनपावर व आवश्यक उपकरण होते तो छात्र को बचाया जा सकता था। एंबुलेंस नहीं होने से ऑक्सीजन सपोर्ट नहीं दिया जा सका। बोलेरों को अस्पताल पहुंचने में देरी हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि हास्टल में निम्नस्तरीय भोजन दिया जाता है जिससे अधिकांश छात्रों की तबीयत बिगड़ जाती है।

काॅलेज प्रशासन इसी मेस से खाने का दबाव बनाते हैं जबकि वे लोग स्वयं संचालित मेस की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। पैसा जमा करवाने में देरी होने पर नकद विलंब शुल्क लिया जाता है। उन्होंने डीन डा. डीके शाही के व्यवहार पर आक्रोश व्यक्त किया। कुछ छात्रों ने अनुशासनात्मक कार्रवाई कर प्रताड़ित करने का आरोप भी लगाया।

आवास पर तोड़फोड़ करना उचित नहीं : कुलपति

कुलपति ने कहा कि योगदान देने के बाद से ही वे हाॅस्टल तथा छात्रों को दी जाने वाली सुविधा बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। कहा कि नए एंबुलेंस के लिए आते ही पहल की है। चिकित्सक और पारा मेडिकल कर्मी भी हों इस पर भी प्रयास किया जा रहा है।

कहा कि यदि किसी पदाधिकारी से कोई दिक्कत गई है तो वे हमेशा छात्रों से मिलने को तैयार हैं। आवास पर तोड़फोड़ करना कहीं से भी उचित नहीं है। कुलपति के साथ डीन डा. डीके शाही, एसोसिएट डीन डीके रूसिया सहित अन्य अधिकारी रिम्स जाकर परिजनों से मिले व अपनी गहरी संवेदना प्रकट की।

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