बछवारस का पर्व मारवाड़ी समाज के घरों में उल्लासपूर्वक मनाया गया। रांची जिला मारवाड़ी सम्मेलन के संयुक्त महामंत्री सह प्रवक्ता संजय सर्राफ ने बताया कि महिलाओं द्वारा सुबह गौ माता की विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद घरों में एक लकड़ी के पाटे मे सामूहिक रूप से मिट्टी से बनी बछवारस को सजाकर उसमें कच्चा दूध, दही, कुमकुम, मौली, अक्षत, मोठ, दक्षिणा, प्रसाद एवं पूजा की सभी सामग्री चढ़ाकर पूजा अर्चना की, एवं बछवारस की कहानी सुनी, माताएं अपने पुत्रों को तिलक लगाकर तलाई फोड़ने के बाद प्रसाद दी। पुत्रवान महिलाएं अपने संतान की मंगल कामना के लिए व्रत रखी। आज के दिन घरो बाजरे की रोटी बनाई गई एवं भैंस का दूध एवं दही का उपयोग किया गया। गेहूं से बने पकवान एवं कटी हुई सब्जी नहीं खाए जाते हैं। बाजरे या ज्वार का सोगटा और अंकुरित अनाज की कढ़ी एवं सूखी सब्जी बनाई गई।
उन्होंने बताया कि बछवारस त्यौहार जन्माष्टमी के चार दिन बाद भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व को गोवत्स द्वादशी भी कहते हैं। भगवान कृष्ण के गायों और बछड़ों से बड़ा प्रेम था इसलिए इस त्यौहार को मनाया जाता है। आज के दिन गौ माता की बछड़े सहित पूजा की जाती है। पूजा करने से सभी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है जिससे घरों में खुशहाली और संपन्नता आती है।