नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज इलेक्टोरल बॉन्ड केस की सुनवाई के दौरान इस बात पर सवाल उठाया कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने जो आंकड़े निर्वाचन आयोग को दिए हैं उसमें बॉन्ड नंबर का उल्लेख नहीं किया गया है, जबकि इसका साफ आदेश था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने इस पर एसबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी।
इस पर निर्वाचन आयोग ने कहा कि हमने आपको जो सीलबंद रिकॉर्ड दिया है, उसकी कॉपी हमने नहीं रखी है। एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड का नंबर शेयर नही किया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक को आदेश दिया कि वह खरीदे गए बॉन्ड का डेटा और जमा करने वाले राजनीतिक दलों की तारीख, यूनिक न्यूमेरिक नंबर और धनराशि का ब्योरा दे। बॉन्ड नंबर जारी होने के बाद यह पता चल सकेगा कि किसने किस पार्टी को कितना चंदा दिया।
दरअसल निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि कोर्ट के 12 अप्रैल 2019 और 02 नवंबर 2023 के अंतरिम आदेश के मुताबिक कुछ आंकड़े सील कवर में सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गए थे। 11 मार्च के आदेश में कोर्ट ने कहा था कि निर्वाचन आयोग उन आंकड़ों को संभाल कर रखेगा। लेकिन वो आंकड़े कोर्ट में जमा हैं। ऐसे में या तो कोर्ट अपने 11 मार्च के आदेश में बदलाव करे या कोर्ट में जमा सील बंद लिफाफे को वापस चुनाव आयोग को लौटा दिया जाए।
उल्लेखनीय है कि 14 मार्च को निर्वाचन आयोग ने स्टेट बैंक की ओर से दी गई इलेक्टोरल बॉन्ड की सूचना को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित की है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी 30 जून तक बढ़ाने की स्टेट बैंक की याचिका को खारिज कर दिया था।