सुप्रीम कोर्ट ने 34000 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले में DHFL के प्रमोटर धीरज वधावन को दो सप्ताह के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया है. साथ ही न्यायालय ने अभियुक्त को हाईकोर्ट द्वारा स्वास्थ्य के आधार पर दी गयी जमानत भी रद्द कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य कारणों से जमानत पर रिहा करने का दिया था आदेश
धीरज वधावन को दिल्ली हाईकोर्ट ने नवंबर 2024 में स्वास्थ्य कारणों से जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. सीबीआई ने हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से यह कहा गया था कि अभियुक्त के स्वास्थ्य की स्थिति ऐसी नहीं है कि उसे जमानत पर रिहा किया जाये. अभियुक्त 34000 करोड़ रुपये की बैंक जालसाजी में शामिल है.
डॉक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने की वधावन की जमानत रद्द
सीबीआई की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जेजे अस्पताल मुंबई के डॉक्टरों की टीम बनाकर वधावन के स्वास्थ्य जांच का आदेश दिया था. डॉक्टरों की टीम ने जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की थी. इसमें कहा गया था कि अभियुक्त को ऐसी कोई गंभीर बीमारी नहीं है कि उसे तत्काल बाहर इलाज की जरूरत है. इसके बाद न्यायालय ने हाईकोर्ट द्वारा दी गयी जमानत को रद्द करते हुए अभियुक्त को दो सप्ताह के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया.
इस तरह 34000 करोड़ के घोटाले को दिया अंजाम
बता दें कि अभियुक्त ने बैंक घोटाले को अंजाम देने के लिए 2.60 लाख से अधिक फर्जी होम लोन खाते बनाये. इसके बाद 17 बैंक समूहों से कुल 34000 करोड़ रुपये के कर्ज की धोखाधड़ी की. इस राशि का निजी उपयोग करने के लिए शेल कंपनियां बनायी. इन शेल कंपनियों के सहारे पैसे को डायवर्ट किया गया. सीबीआई ने इस मामले में 2001 मे प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की थी.