आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की नॉलेज रखने वाले लोगों पर पैसे की बारिश हो रही है। एआई की दुनिया में टैलेंट को अट्रैक्ट करने की जैसी होड़ आज दिख रही है वैसी शायद ही कमी किसी दूसरे फील्ड में दिखी होगी। एआई कंपनियों के सीईओ काबिल एंप्लॉयी को 30 करोड़ डॉलर तक की सैलरी ऑफर कर रहे हैं। रुपये में यह 2,550 करोड़ बैठता है। इतना ही नहीं टेक्नोलॉजी कंपनियां प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के एंप्लॉयीज को अपने यहां लाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही हैं। हाल में सिलिकॉन वैली में एक दिलचस्प वाकया हुआ।
सिलीकॉन वैली की एक कंपनी में हुआ मजेदार वाकया
Windsurf के हजारों एंप्लॉयीज 11 जुलाई को ऑफिस में एक बड़े ऐलान का इंतजार कर रहे थे। दरअसल, OpenAI कई महीनों से Windsurf को खरीदने के लिए बातचीत कर रही थी। यह डील 3 अरब डॉलर में होने की उम्मीद थी। विंडसर्फ के ऑफिस में जश्न का माहौल था। कंपनी की मार्केटिंग टीम इस मौके का वीडियो तक बना रही थी, जिसका इस्तेमाल वह प्रमोशन के लिए करने वाली थी। लेकिन, इसके बाद जो हुआ उसने ऑफिस में मौजूदा लोगों को स्तब्ध कर दिया।
सीईओ के इस्तीफे की खबर ने कंपनी के एंप्लॉयीज को हैरान कर दिया
विंडसर्फ के एंप्लॉयीज को पता चला कि कंपनी के सीईओ वरुण मोहन ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने Google को ज्वाइन करने के लिए ऐसा किया। इतना ही नहीं वह एआई की नॉलेज रखने वाले कई रिसर्चर्स और इंजीनियर्स को भी अपने साथ गूगल ले जा रहे हैं। इस खबर को सुनने के बाद तो कई एंप्लॉयीज को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने सपने में भी इसकी कल्पना नहीं की थी। जश्न का माहौल मातम में बदल गया।
टैलेंट को अट्रैक्ट करने की ऐसी होड़ पहले नहीं दिखी
तीन दिन बाद मामले में एक और नाटकीय मोड़ आया। जब विंडसर्फ के एंप्लॉयीज ऑफिस में थे तब एक दूसरा बड़ा ऐलान हुआ। यह खबर मिली की विंडसर्फ को अब एक दूसरी प्रतिद्वंद्वी एआई कंपनी खरीदने जा रही है। दरअसल, दुनिया की कुछ सबसे अमीर कंपनियों के बीच टैलेंट को लुभाने की होड़ मची हुई है। इसके लिए सीक्रेट डील, गोपनीय बातचीत और धोखा तक का इस्तेमाल हो रहा है। आज AI रिसर्चर्स की कीमत आसमान में पहुंच गई है। उन्हें जितने पैसे ऑफर हो रहे है, उससे एक झटके में वे फिल्म स्टार्स जितने अमीर बन सकते हैं।
कंपनियों को एंप्लॉयीज को साथ बनाए रखने में आ रही दिक्कत
सिलिकॉन वैली में टैलेंट को अट्रैक्ट करने की ऐसी होड़ शायद ही पहले हुई हो। ऐसी गतिविधियों के केंद्र में Meta है। दरअसल, मार्क जुकरबर्ग अपनी AI की ड्रीम टीम तैयार कर रहे हैं। मेटा प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के एआई रिसर्चर्स को अट्रैक्ट करने के लिए मुंहमांगा पैसा दे रही है। इसका सीधा असर दूसरी कंपनियों पर पड़ा है। उन्हें अपने एंप्लॉयीज के कंपनी छोड़ने का डर सता रहा है। कंपनियां अपने एंप्लॉयीज को साथ बनाए रखने के लिए भरसक कोशिश कर रही है।https://youtu.be/Ts1fUYGgen8