पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन हो गया है. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उन्होंने आज यानी 5 अगस्त को आरएमएल अस्पताल में आखिरी सांस ली. उनकी उम्र 78 साल थी. पहले वह भाजपा के कद्दावर नेता थे. बाद में उसके आलोचक हो गए थे. सत्यपाल मलिक मई 2025 से दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती थे, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी. उनके निधन से देश में शोक की लहर है.
बताया गया कि सत्यपाल मलिक को गंभीर मूत्र मार्ग संक्रमण (यूरीनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) और किडनी फेल्यर की जटिलताओं के कारण आईसीयू में रखा गया था. आज दोपहर में अस्पताल ने सत्यपाल मलिक के निधन की सूचना दी. यहां बताना जरूरी है कि एक दिन पहले ही झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेना का भी दिल्ली में निधन हुआ था. शिबू सोरेन ने दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में सोमवार को आखिरी सांस ली. आज वह पंचतत्व में विलीन हुए.
सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को हुआ था. वह उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसवाड़ा गांव के रहने वाले ते. उनका जन्म एक जाट परिवार में हुआ था. उन्होंने मेरठ कॉलेज से विज्ञान स्नातक और एलएलबी की डिग्री हासिल की. अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत उन्होंने 1968-69 में मेरठ कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में की. 1974-77 तक वह उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे और 1980 से 1989 तक राज्यसभा में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया. 1989 से 1991 तक वह जनता दल के सदस्य के रूप में अलीगढ़ से नौवीं लोकसभा के सांसद रहे.
उनके कार्यकाल में खत्म हुआ था आर्टिकल 370
सत्यपाल मलिक ने अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के अंतिम राज्यपाल के रूप में कार्य किया. उनके कार्यकाल के दौरान 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल यानी अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया. इसके बाद वह बिहार और मेघालय के राज्यपाल भी रहे. उन्होंने 2019 के पुलवामा हमले में सुरक्षा चूक और किरू हाइड्रोपावर परियोजना में कथित भ्रष्टाचार के मुद्दों पर खुलकर बात की थी, जिसके कारण वह विवादों में भी रहे. वह भाजपा के बाद में प्रमुख आलोचक हो गए थे.