पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह आठ साल बाद रिहा, फिलहाल धनबाद जाने पर रोक

झरिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह, जो अपने चचेरे भाई और झरिया के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या के मामले में लगभग आठ वर्षों से जेल में बंद थे, को सोमवार शाम रांची स्थित मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (रिनपास) से रिहा कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद ट्रायल कोर्ट ने उनकी रिहाई का आदेश जारी किया, जिसके तहत उन्हें रिनपास से बाहर लाया गया.

रिहाई के बाद संजीव सिंह अपने समर्थकों के साथ संस्थान से बाहर निकले, लेकिन उन्हें फिलहाल धनबाद जाने की अनुमति नहीं दी गई है. जमानत की शर्तों के तहत यह रोक लगाई गई है और वे अभी रांची में ही निवास करेंगे.

वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश चौधरी की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनबी अंजारिया शामिल थे, ने संजीव सिंह को जमानत देने का निर्णय सुनाया. इसके बाद ट्रायल कोर्ट ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार रिहाई की प्रक्रिया पूरी की.

संजीव सिंह 11 अप्रैल 2017 से न्यायिक हिरासत में थे और उनकी जमानत याचिकाएं निचली अदालत और उच्च न्यायालय में कई बार खारिज हो चुकी थीं.

21 मार्च 2017 को धनबाद के सरायढेला इलाके में नीरज सिंह, उनके दो अंगरक्षक और एक ड्राइवर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में संजीव सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया था. अब जबकि उन्हें जमानत पर रिहा किया गया है, मामले की न्यायिक प्रक्रिया और सुनवाई आगे भी जारी रहेगी.

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