रांची: झारखंड के सीनियर अधिकारियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ की एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने एफआईआर दर्ज की है, जो छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट से जुड़े एक बड़े भ्रष्टाचार के मामले को उजागर करता है | इस मामले में झारखंड के उत्पाद विभाग के अधिकारियों समेत कई एजेंसियों पर शिकंजा कसा गया है |
मामला क्या है
छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट ने झारखंड और छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार पर नियंत्रण पाने के लिए शराब नीति में बदलाव किया | एसीबी द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में कई वरिष्ठ अधिकारियों के नाम शामिल हैं, जिन्हें शराब सप्लाई, मैनपावर और होलोग्राम बनाने वाली कंपनियों के साथ मिलीभगत करने का आरोपी बनाया गया है | आरोप है कि इन अधिकारियों ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018, धारा 420 और 120 बी के तहत अपराध किए |
एफआईआर में क्या कहा गया है
इस एफआईआर में बताया गया है कि झारखंड के सीनियर अधिकारी और उसके सिंडिकेट के सदस्यों को लाभ दिलाने के लिए शराब सप्लाई एजेंसी और प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए निविदा शर्त में 100 करोड़ के टर्नओवर की शर्त डाली गई | ऐसे में जहां झारखंड में ठेकेदारी प्रथा शराब कारोबार में लागू थी, यहां की कोई कंपनी निविदा में शामिल नहीं हो पायी | इसी तरह मैनपावर सप्लाई करने वाली प्लेसमेंट एजेंसी के लिए 310 दुकानों के लिए ईएमडी राशि 49.67 लाख एवं बैंक गारंटी के रूप में 11.28 करोड़ की राशि निविदा शर्त के तौर पर रखी गई |
इस निविदा में भाग लेने के लिए कंपनियों के लिए शासकीय कार्य में दो साल में चार करोड़ रुपये के काम का अनुभव रखा गया | इस तरह झारखंड में छत्तीसगढ़ की कंपनियों सुमित फैसिलिटीज, ईगल हंटर साल्यूसंश, एटूजेड इंफ्रा को काम दिया गया | इसके बाद इन सभी कंपनियों के मालिकों के द्वारा सिद्धार्थ सिंघानिया को अपनी ओर से मैनपावर सप्लाई का काम दिया गया |सिंघानिया ने नए मैन पावर रखने के बजाय पुराने ठेकेदारों के अधीन शराब दुकानों में काम कर रहे लोगों को ही काम पर रखा |
इस एफआईआर में जिक्र है कि शराब सिंडिकेट की आपराधिक साजिश के कारण झारखंड में साल 2022-23 में राजस्व का भारी नुकसान हुआ | एसीबी छत्तीसगढ़ में शिकायत मिलने पर की गई आरंभिक जांच में पाया है कि नियम में फेरबदल कर शराब कंपनियों के मालिक से करोड़ों का कमीशन लिया गया |