रांची: देश में कहीं भी हॉस्पिटल या क्लिनिक के संचालन के लिए क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है | वहीं हर साल इसका रिन्यूअल भी प्रबंधन को कराना है | इसके बावजूद केवल राजधानी रांची में ही सैकड़ों हॉस्पिटल बिना लाइसेंस के चल रहे है | चूंकि उनका रजिस्ट्रेशन फेल हो चुका है | इतना ही रजिस्ट्रेशन फेल हो जाने के बावजूद सिविल सर्जन ने उनपर कोई कार्रवाई नहीं की | न ही उनपर फाइन ठोंका गया. जिससे साफ है कि इन हॉस्पिटलों के मालिकों और प्रबंधन को कार्रवाई का कोई डर नहीं है | यहीं वजह है कि मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने से भी बाज नहीं आ रहे है | रांची के बड़े हॉस्पिटलों की बात करें तो मेडिका, पल्स, सैमफोर्ड, आलम हॉस्पिटल, गुलमोहर, हेल्थ प्वाइंट, बर्लिन, आर्किंड, रामप्यारी हॉस्पिटल, मेदांता, पारस, क्यूरेस्टा जैसे हॉस्पिटलों के रजिस्ट्रेशन भी एक्सपायर हो चुके है | इसका खुलासा सोशल एक्टिविस्ट ज्योति शर्मा के द्वारा आरटीआई से मांगी गई जानकारी में हुआ है |
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क्या है नियम
क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट(सीइए) के तहत मिलनेवाले लाइसेंस के बिना कोई भी अस्पताल नहीं चलाया जा सकता है | नियम का उल्लंघन करनेवाले अस्पताल पर फाइन लगाने और उसे बंद करने का प्रावधान है | इसके बावजूद रांची में सैकड़ों अस्पताल सीइए लाइसेंस की अवधि समाप्त होने के बाद भी चल रहे हैं | कुछ अस्पतालों के लाइसेंस की अवधि समाप्त हुए सात-आठ माह से ज्यादा हो चुके हैं | जबकि कुछ का दो साल पहले ही लाइसेंस एक्सपायर हो चुका है | लेकिन, सरकार के स्तर पर इन अस्पतालों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है | वहीं सबसे बड़ा सवाल यह है कि सिविल सर्जन भी इसकी जांच नहीं करते | ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि आखिर किसके दबाव में ये लोग कार्रवाई नहीं कर रहे है | कभी-कभी दिखावे के लिए एक-दो क्लिनिक या सेंटरों पर फाइन लगा दिया जाता है |